शिक्षक किसी भी समाज को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है। आज शिक्षक दिवस के मौके पर हम ऐसे ही एक इंसान की बात कर रहें हैं, जिसनें अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा हॉकी के खेल की विधा को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया। गोरखपुर के मुहम्मद इमरान एक पूर्व खिलाड़ी और भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच रह चुके हैं जिन्होंने देश के लिए 8 अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों समेत कुल 50 हॉकी के खिलाडियों को प्रशिक्षण दिया है। लेकिन अफ़सोस की बात है कि आज इमरान को रोजी-रोटी के लिए साइकिल पर ट्रैक-सूट बेचने पड़ते हैं।
इमरान अपने दिनों में फर्टीलाईजेशन कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एफ.सी.आइ.) के लिए हॉकी खेला करते थे। 1975 से 1985 के बीच उन्होंने एफ.सी.आइ के टीम के लिए हॉकी खेलते हुए कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद से, इमरान ने हॉकी की बारीकियां सीखी। इमरान बताते हैं कि कैसे ध्यानचंद नें उन्हें हॉकी में सफलता पाने के लिए लगातार अभ्यास करने का सुझाव दिया, और अपने आस-पास के बच्चों को हॉकी सिखाने की बात कही। उनकी इसी बात का अनुसरण करते हुए इमरान पिछले 29 सालों से बच्चों को हॉकी सिखा रहे हैं।
सरकार से हॉकी के खेल की सेवा के लिए महज 1000 रूपए पेंशन में पाने वाले इमरान, भारतीय महिला हॉकी टीम की उप कप्तान निधि खुल्लर, रीता पांडे, रजनी चौधरी, जनार्दन गुप्ता, संजीव ओझा, और प्रतिमा चौधरी जैसे खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं। लेकिन भला इस स्तर की अनदेखी के बाद महज़ अपने जज़्बे से समर्पण कब तक किया जा सकता है।
हर बार अलग-अलग खेलों में अंतरराष्ट्रीय स्तर अपने खिलाड़ियों से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद और पदक की आस से पहले शायद हमें एक कोच, एक शिक्षक की इस बदहाली की तस्वीर को बदलना होगा
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