श्रीलंका नें सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल किया है, 5-सितम्बर 2016 को वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (डब्लू.एच.ओ.) नें इस छोटे से देश को पूरी तरह से मलेरिया मुक्त घोषित किया। बीसवीं सदी के मध्य तक श्रीलंका, मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में से एक था। डब्लू.एच.ओ. की रिपोर्ट के अनुसार 2015 मलेरिया के कारण दुनियाभर में लगभग चार लाख से भी ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई थी। सत्तर, अस्सी और नब्बे के दशक में मलेरिया के मामलों में चिंताजनक बढ़त दर्ज किए जाने के बाद से ही श्रीलंका में इस बीमारी के खिलाफ बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया।
श्रीलंका द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में हासिल की गयी इस बड़ी सफतला को समझने से पहले, वहां की भौगोलिक स्थिति को भी जानना जरुरी है। हिन्द महासागर में स्थित यह छोटा सा देश ट्रॉपिकल (उष्णकटिबंधीय) क्षेत्र में आता है, जहाँ साल में दो बार मानसून के कारण अच्छी-खासी बारिश होती है। अच्छी बारिश और नमी मच्छरों को पनपने के लिए आदर्श वातावरण देती है। ऐसे में श्रीलंका की यह सफलता और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है।
नब्बे के दशक में मलेरिया के खिलाफ नीति में बदलाव करते हुए श्रीलंका में ना केवल मच्छरों की रोकथाम पर ध्यान दिया गया, बल्कि इस बीमारी के मुख्य कारण अमीबिक पैरासाईट को पूरी तरह से समाप्त करने का लक्ष्य बनाया गया। साथ ही यह सुनिश्चित किया गया कि यह पैरासाईट वापस ना पनप पाएं। मलेरिया से प्रभावित इलाकों में नियमित रूप से कैंप लगाए गए और मोबाइल क्लीनिक की व्यवस्थाएं की गयी। इस बीमारी से पीड़ित लोगों और बीमारी से उबर रहे लोगों पर भी लगातार नज़र रखी गयी। 2005 में श्रीलंका में केवल 1000 मलेरिया के मामले दर्ज किए गए और 2012 में श्रीलंका में एक भी मलेरिया का मामला दर्ज नहीं किया गया। पिछले दो सालों से श्रीलंका में एक भी मलेरिया का मामला दर्ज नहीं किया गया है।
वहीं अगर हमारे देश भारत की बात करें तो मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित 15 देशों में भारत तीसरे नंबर पर आता है। 2016 में अब तक भारत में 4 लाख से भी ज्यादा मलेरिया के मामले सामने आये हैं, जिनमे 100 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत 2030 तक मलरिया से पूरी तरह से मुक्त हो जाएगा। जाहिर है इस लक्ष्य को पाने के लिए भारत को भी श्रीलंका से सीख लेते हुए, इस बीमारी के खिलाफ मजबूत इच्छाशक्ति के साथ अभियान चलाना होगा। साथ ही यह भी तय करना होगा कि मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में सामुदायिक स्तर पर लोगों से संवाद स्थापित किया जाए और इस लड़ाई में उन्हें भी शामिल किया जाए।
The post श्रीलंका बना दूसरा मलेरिया मुक्त देश, क्या भारत अपने इस पड़ोसी से कोई सीख ले पाएगा? appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.