‘राजस्थान’ ये शब्द सुनते ही आपके ज़हन में सबसे पहले क्या आता है? रेत के टीले, ऊंट गाड़ी, बाल विवाह, बड़ी-बड़ी हवेलियाँ, महल या कुछ और? लेकिन इन सब बातों से परे हमारी 14 सदस्यों की टीम ने बहुत कुछ देखा, सुना, महसूस और अनुभव किया है। उसमें से एक यह कि आप किसी भी सुदूर गाँव में पहुँच जाएं और कहें कि सरकारी स्कूल में काम करता हूँ और स्कूल में सामान लाने के लिए आपसे आर्थिक सहयोग चाहिए, तो शायद ही गाँव में कोई हो जो मना करेगा।
पिछले 5 सालों से चुरू जिले के राजगढ़ ब्लॉक में काम कर रहे टीम लीडर सन्दीप सैनी बताते हैं, “यहाँ के युवाओं को फौज में भर्ती होने के लिए सड़कों पर दौड़ लगाते देखा है, शादी के बाद घूंघट डाल कर नवविवाहित लड़कियों को BSTC (बेसिक टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स) और B.Ed. की पढाई करने आते देखा है। जब एक बार इनसे यह सवाल पूछा कि आप केवल सरकारी नौकरियों की ही तैयारी क्यों करते हैं? आप सरकारी नौकरियों के अलावा बाकी क्षेत्रों में जाने के बारे में क्यों नहीं सोचते जैसे वकालत, पत्रकारिता आदि? तो इनका जवाब था कि हममें प्राइवेट में जाने लायक दक्षताएं नहीं है, हम वहां काम नहीं कर सकते।” ये जवाब जो हमें मिले इनका निष्कर्ष क्या निकलता हैं? इन युवाओं का खुद पर विश्वास कम है या सही में इनमें वो दक्षताएं नहीं हैं या फिर यह परिवार और समाज की परवरिश की झलक है। सरकारी नौकरी पाने की परम्परा इनमें दिखती है, क्यूंकि चुरू जिले के जिस हिस्से में हम काम करते हैं यह फौजियों और अध्यापकों की भूमि हैं और यहाँ का युवा भी इसी ओर सोचता है।
इस निष्कर्ष के बाद हमारी टीम ने मंथन करते हुए एक शुरुआत की, अटूट विश्वास, ढेर सारे हौसलों के साथ कि क्या एक युवा दूसरे युवा के लिए साझीदार की भूमिका निभा सकता है? चाहे वो बात उनके व्यक्तिगत विकास की हो या उस समुदाय की जिसका वो अभी अभिन्न हिस्सा हैं और भविष्य में कर्णधार भी। एक युवा जो कि इस 21वीं सदी का भविष्य है, क्या वह गांव के सरकारी विद्यालय में पढने वाली पीढ़ी को मार्गदर्शित कर सकता है? इसी विश्वास के साथ शुरू हुआ युवा नेतृत्व विकास कार्यक्रम (Youth Leadership Development Program) जिसका मूलमंत्र है, ‘सशक्त युवा, सक्षम गाँव।’
इस कार्यक्रम के तहत राजस्थान के चुरू जिले के हरियाणा से सटे ब्लॉक राजगढ़ में जनवरी 2016 को 5 गाँव के 22 युवक एवं युवतियों के साथ एक दिवसीय लीडरशिप वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें उन्हें सामुदायिक विकास में योगदान के लिए प्रोत्साहित किया गया, साथ ही उनके शैक्षणिक क्षेत्रों को लेकर गहन चर्चा की गई। इस वर्कशॉप से दो चीज़ें उभर कर सामने आई। पहली कि देश में युवा, स्वयंसेवक के रूप में सामुदायिक विकास में अहम् भूमिका निभा सकते हैं और दूसरी यह कि युवाओं को शिक्षा और कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन की जरुरत है। कुल मिलाकर स्वयंसेवक वाले सन्दर्भ को हम नयी परिभाषा दे सकते हैं वो है- आपसी समझ की।
युवाओं और हमारे बीच बने इस विश्वास के रिश्ते को हमने आगे बढाने की ठानी तो हमने युवाओ की आकांशाओ, क्षमताओं, और संभावनाओं को और बेहतर समझने और जानने के लिए जुलाई 2016 में ब्लॉक के 12 गाँवो में 700 से ज्यादा युवाओ की मैपिंग की। इस मैपिंग के बाद हमने देखा कि गाँव के युवा भी सपने रखते हैं- जहाज उड़ाने से लेकर सेना में कर्नल बनने तक। तो हमारे सामने अब एक नया सवाल था कि ये सब बनने की तैयारी के समय क्या ये देश सेवा के लिए समय दे सकते हैं?
इस सवाल के साथ हमने युवाओं से वापस सम्पर्क साधा हमारे विचारों को साझा किया। बहुत से विचार आये जिनमें माता-पिता की आशायें थी और जिनमें युवाओं की और अध्यापकों की चिंताएं थी। सभी विचारों को एक साथ रखकर सोचा गया कि इस बार वर्कशॉप नहीं युवा सम्मलेन रखा जाये। क्यूंकि इस क्षेत्र को जरुरत है कि ज्यादा से ज्यादा युवा एक साथ आकर सामाजिक बदलाव की शुरुआत करें। इसके बाद दौर शुरू हुआ समुदाय के लिए किये जा रहे काम में सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने का। जिसके लिए हम समुदाय के कई डोनर्स से मिले, जिन्होंने 30 हजार रूपए का योगदान देकर हमारे विश्वास को और पंख दे दिए।
तारीख तय हुई अगस्त 2016, युवा सम्मलेन का आगाज हुआ जिसमें स्वयंसेवकों को शैक्षणिक क्षेत्रों से संबंधित जानकारी देने के लिये 15 स्टाल लगाये गए जिनमें टीचिंग, डिफेन्स, फैशन और डिजाइनिंग, समाज कार्य और वकालत, उद्यमिता, खेल, सरकारी योजनाएं और स्कालरशिप, तकनिकी शिक्षा आदि थे। हर स्टाल पर उस क्षेत्र से जुड़े एक एक्सपर्ट थे। इस सम्मलेन में 300 से ज्यादा युवाओं सहित स्थानीय विधायक और बीस से ज्यादा अपने-अपने क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल हुए। सभी ने इस पहल की सराहना करने के साथ ही भविष्य में सहयोग देने की बात कही। कुछ डोनर्स ने अगले चरण के लिए आर्थिक रूप से सहयोग का विश्वास दिया। राजगढ़ जैसी छोटी और धार्मिक जगह, जहाँ लोगों की भीड़ किसी भंडारे या माता जागरण में ही उमड़ती हो वहां यह अपने आप में एक अनोखा अनुभव रहा।
वर्तमान में ये एक छोटी से सी पहल बड़े सामाजिक बदलाव की ओर बढ़ चली है। आज 300 युवाओं के साथ हमारा सीधा संवाद है और सभी अपने गाँव में सामुदायिक बदलाव के लिए अनोखी पहल कर रहे हैं। कुछ शाम के समय सरकारी स्कूल के बच्चो को निःशुल्क पढ़ाते हैं तो कुछ ने अपने गाँव को स्वच्छ गाँव बनाने का बीड़ा उठाया है। वहीं कई गाँवों में यूथ क्लब बनाकर यह गाँव की हर सामाजिक समस्या से निपटने के लिए तैयार रहते हैं। भविष्य में हम इनके साथ कई तरह के अन्य अभियान चलाने वाले हैं, साथ ही साथ वर्कशॉप्स के ज़रिये हम सभी स्वयंसेवकों के नेतृत्व क्षमता के विकास हेतु भी तत्पर हैं।
आप भी हमारे इस सफ़र में भागीदार बन सकते हैं, तो एक कदम आगे बढ़ाये और इस सामाजिक बदलाव की पहल से जुड़ें। आप का साथ हमारे विश्वास को आसमान की उचाईयों की ओर ले जायेगा और हम सब मिलकर कह पाएंगे, ‘सशक्त युवा, सक्षम गाँव।’
The post मिलिए इन युवाओं से जो युवाओं को सिखा रहे हैं कि कैसे करें खुद पर भरोसा appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.