जिला बांदा, ब्लॉक नरैनी, ग्राम पंचायत तरहटी कालिंजर। ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता में हमेशा ही प्रश्नचिन्ह लगते रहे हैं, पर न व्यवस्था में कोई सुधार होता है और न व्यवस्था को बेकार करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई। ऐसी ही बेकार शिक्षा व्यवस्था का नमूना हैं, बांदा जिले का राजकीय इण्टर कॉलेज, कालिंजर, जहां पिछले सात सालों से कोई भी सरकारी अध्यापक नियुक्त नहीं किया गया है। सरकारी अध्यापक के नाम पर विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य ही हैं, जिन पर भी शराब पीकर विद्यालय आने का आरोप लगता रहता है।
विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को मूलभूत सुविधाओं के नाम पर साफ पानी और शौचालय की सुविधा भी ठीक ढंग से नहीं मिल रही है। यहां के अध्यापक श्रीराम पाण्डे एक सफाई कर्मचारी होने की बात कहते हुए बोलते है कि सफाई की कोई सुविधा नहीं है। वह प्राइवेट अध्यापक को कम वेतन मिलने की बात बताते हैं।
वहीं विद्यालय में पढ़ने वाली अंकिता गुप्ता कहती हैं, “विद्यालय में कोई पढ़ाई नहीं होती हैं।” वह अपने आप ही पढने की बात कहती हैं। अंकिता विद्यालय में बच्चों के बैठ़ने के लिए कुर्सी-मेज़ भी नहीं होने की बात कहती हैं। एक अन्य छात्र नीरज सोनकार भी पढ़ाई नहीं होने की बात कहते हैं।
इस विद्यालय में आठ सौ बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। इस विद्यालय के बारे में जिला विद्यालय निरीक्षक अधिकारी हिफजुर्रहमान से बात करने पर वह इस विद्यालय की जानकारी होने की बात कहते हैं। वह आश्वासन देते हैं कि विद्यालय की कमियों को दूर किया जाएगा, साथ ही अध्यापकों की कमी को दूर किया जाएगा। पर ये सब कब तक होगा, इसकी समय सीमा वह नहीं देते हैं।
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