Quantcast
Channel: Society – Youth Ki Awaaz
Viewing all articles
Browse latest Browse all 12584

अच्छी खबर: जल्द ही आने वाली है साइन लैंग्वेज की नई डिक्शनरी

$
0
0

यदि आप मन में पढ़ रहे हैं तो शीर्षक पढ़ते हुए भी आप अपने दिमाग में एक आवाज़ सुन पा रहे होंगे। जैसे-जैसे आप ये सब अपने मन में पढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे ही ये आवाज़ भी सुनाई पड़ती जाती है, है न? ये हर उस इंसान के साथ होता है जो सुन और बोल सकता है। आप जब बिना बोले पढ़ते हैं तो अपने मस्तिष्क में एक ध्वनि अनुभव करते हैं। क्या कभी सोचा है एक बधिर को क्या महसूस होता होगा? जिसने जन्म लेने के बाद से ही न तो अपनी आवाज़ सुनी ना ही किसी और की, वो क्या अनुभव करता होगा या होगी? जिन्होने कुछ समय तक आवाजों को सुना, उन्हें महसूस किया पर कुछ समय बाद बधिर हो गए, उन्हें कैसा लगता होगा? क्या वो भी पढ़ते वक्त हम जैसा ही अनुभव कर पाते होंगे?

हम उनसे इतने अलग हैं कि हमें उनके एहसास के बारे में भी नहीं पता। इसी दूरी को कम करने के लिए और सभी को बधिर लोगों द्वारा उपयोग की जाने वाली सांकेतिक भाषा को समझाने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा एक महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत की गयी है जिसके अंतर्गत भारतीय संकेत भाषा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र नामक एक संस्था आधिकारिक रूप से भारत की संकेत भाषा में प्रयोग होने वाले संकेतों के लिए एक शब्दकोश तैयार कर रही है। इस संस्था की स्थापना 2015 में की गई थी जिसका उद्देश्य भारत के 50 लाख बधिरों को सहायता प्रदान करना तथा उनके लिए शिक्षा, रोज़गार और सामाजिक जीवन के अन्य कार्यों की उपलब्धता सुनिश्चित करना है।

शब्दकोश के संकलन की शुरुआत अक्टूबर 2016 में ही हो गई थी। एक बार ये शब्दकोश तैयार हो गया तो इसे स्कूल और कॉलेज में पढ़ाया जाएगा ताकि हर कोई संकेतों का अर्थ समझ सके और ये जो अलगाव है उसे कम किया जा सके। उम्मीद है कि इसी महीने यानी मार्च में ये शब्दकोश बन के तैयार हो जाएगा। इसे ऑनलाइन और प्रिंट दोनों रूपों में लाया जाएगा। आज भी भारत में कई ऐसे शब्दकोश हैं जो ऑनलाइन मिल जाते हैं पर वो आधिकारिक नहीं हैं और न ही उनमें सभी संकेतों का वर्णन है। इसीलिए एक ऐसे शब्दकोश की ज़रूरत थी जो पूरे देश में एक समान रूप से अपनाया जा सके जिसके लिए ये कदम लिया गया।

दिल्ली के भारतीय संकेत भाषा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र में 12 सदस्यों की एक टीम बनाई गई है जो कि करीबन 6000 संकेतों के संकलन का कार्य कर रही है। इन 12 लोगों में बधिर, मूक-बधिर या फिर किसी न किसी प्रकार से विशेष रूप से सक्षम लोग हैं। 6000 शब्दों को चिन्हित करने के लिए 12 सदस्यीय टीम ने 44 ऐसे हाथ द्वारा उपयोग किए गए संकेतों का चयन किया है जो पूरे भारत में उपयोग किए जाते हैं। विभिन्न क्षेत्र जैसे विधि, चिकित्सा, प्रोद्योगिकी, शिक्षा आदि में उपयोग होने वाले हिंदी तथा अंग्रेजी शब्दों के लिए संकेत या चिन्ह निर्धारित कर इस शब्दकोश में डाला जा रहा है। इस शब्दकोश की ये खासियत है कि इसे भारत के विभिन्न राज्यों में प्रयोग की जाने वाली सांकेतिक तथा स्थानीय भाषाओं को ध्यान में रख कर संकलित किया जा रहा है, ताकि इसे पूरे भारत में एक समान रूप से प्रयोग किया जा सके।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़ मंत्रालय द्वारा किए गए एक सर्वे में ये पाया गया कि देश में सिर्फ 300 संकेत भाषा के अनुवादक हैं, जिसके कारण ही सभी विशेष रूप से सक्षम व्यक्तियों में बधिरों की पढ़ने और लिखने की स्थिति सबसे खराब है। इसी रिपोर्ट में मंत्रालय के अफसर ने बताया कि, “वर्तमान में हमारे देश में तकरीबन 15 लाख बधिर बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल जाने की आयुवर्ग के हैं पर इनमें से बहुत कम ही शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं। एक बार ये शब्दकोश तैयार हो जाए तो इसे हर स्कूल में पहुंचाया जाएगा, ऑनलाइन डाला जाएगा ताकि हर कोई इससे अवगत हो सके। हम चाहते हैं कि देश के हर एक स्कूल में कम से कम एक टीचर ऐसा हो जो संकेत भाषा जानता और समझता हो।”

भारतीय संकेत भाषा शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र के सलाहकार मदन वसिष्ट ने ये पाया है कि भारत में कुल बधिर बच्चों में से सिर्फ 5 फीसदी ही ऐसे हैं जो शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं और इनमें से महज 0.5 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें सांकेतिक भाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल पाता है। स्थिति इतनी खराब इस वजह से है क्यूंकि भारत में सांकेतिक भाषा को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं। जो लोग सुन नहीं सकते उनमें से अधिकांश को ही नहीं पता कि कहां पर उन्हें ऐसी शिक्षा मिल सकती है जो सांकेतिक भाषा में पढ़ाई जाती हो। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 700 ऐसे स्कूल हैं जो सांकेतिक भाषा में पढ़ाते हैं, पर ये भी लिखित रूप में उपलब्ध नहीं हैं।

दूसरी जो समस्या आती है वो है अपनी बात व्यक्त करने के तरीके में विविधता, जैसे अमेरिका में शादी का संकेत है “अंगूठी पहनाने की प्रक्रिया” पर भारत में शादी को “दोनों हाथों को पकड़ कर” दिखाया जाता है। इसी प्रकार भारत के ही कुछ राज्यों में लड़की के लिए तर्जनी (index finger) को माथे के बीचों बीच लाया जाता है – ये बिंदी को दर्शाता है तो कुछ राज्यों में लड़की के लिए तर्जनी को नाक के किनारे रखा जाता है, जो कि नथनी को दर्शाता है।

एक बार ये शब्दकोश बन के तैयार हो जाता है तो देश भर में एक ही संकेत हर जगह उपयोग में लाए जा सकेंगे। जिससे एकरूपता भी आएगी और समानता भी। 50 लाख लोगों से संवाद स्थापित हो सकेगा और कितने ही लोगों को शून्य से शिखर तक पहुंचने का एक सुनहरा मौक़ा मिल पाएगा।

BBC से बात करते वक्त दिल्ली के उस शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र में अपना योगदान देने वाले इस्लाम उल हक जो खुद सुन नहीं सकते हैं, इन संभावनाओं पर खुश होते हुए कहते हैं कि, “स्वीडन में जब मैंने McDonald’s में अपना आर्डर दिया तो वहां के कैशियर ने मुझसे सांकेतिक भाषा में बात की, हम इसे भारत में साकार होते अब देख पाएंगे।”

The post अच्छी खबर: जल्द ही आने वाली है साइन लैंग्वेज की नई डिक्शनरी appeared first and originally on Youth Ki Awaaz, an award-winning online platform that serves as the hub of thoughtful opinions and reportage on the world's most pressing issues, as witnessed by the current generation. Follow us on Facebook and Twitter to find out more.


Viewing all articles
Browse latest Browse all 12584

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>