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स्वच्छ भारत: झारखंड के 90 घरों वाले इस गांव में है बस 3 टॉयलेट

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स्वच्छ भारत अभियान के तहत चलाई जा रही मुहिम और तमाम विज्ञापनों के बीच देश भर में कई ग्रामीण इलाकों की हालत आज भी बहुत खराब है। ये वो ग्रामीण इलाके हैं जिनकी पड़ताल किए जाने के बाद सरकारी योजनाओं के माध्यम से शौचालय निर्माण कराए जाने के दावे फेल होते नज़र आते हैं।

झारखंड राज्य के गोड्डा जिले के महगामा ब्लाक के सरभंगा गांव में कुल 90 घरों पर महज़ तीन घरों में ही शौचालय उपलब्ध हैं। 400 से अधिक लोगों की आबादी वाले इस गांव में लगभग सभी लोग (पुरूष और महिलाएं) खुले में शौच करने पर मजबूर हैं। ना सिर्फ घरों में बल्कि गांव के प्राथमिक विद्यालय में मौजूद शौचालय भी उपयोग करने लायक नहीं है। स्कूल के दौरान बच्चों को शौच करने के लिए खेत की तरफ ही जाना पड़ता है।

गौरतलब है कि ग्रामीणों को ग्रामीण स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण इलाकों में शौचालय निर्माण के लिए सरकार 12000 की राशि देती है। हालांकि लाभार्थी को इस योजना के माध्यम से शौचालय बनवाने के लिए पैसे पहले अपनी जेब से खर्च करने होंगे और फिर सरकार उनके बैंक अकाउंट में राशि ट्रांसफर करेगी।

ये हाल सिर्फ महगामा ब्लॉक के सरभंगा गांव का ही नहीं है बल्कि आस-पास के गांव जैसे घाटजगतपुर, पकड़ी डीह और गोकुला में भी लोगों के पास खुले में शौच करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। सरभंगा गांव में पड़ताल के दौरान हमने ग्रामीणों से बातचीत शुरू की। बातचीत के इस सफर में हमने सबसे पहले विजय दास से बात की जो बताते हैं, “हम किसी तरह दो वक्त की रोटी का बंदोबस्त कर पाते हैं, ऐसे में खुद से पैसे लगाकर शौचालय बनवाना हमारे बस की बात नहीं है। हमने कई दफा प्रखंड कार्यालय के चक्कर लगाए और वे हमसे एक ही बात कहते हैं कि शौचालय निर्माण के लिए पहले हम पैसे लगाएं। जो कि हमे जैसे गरीब लोगों के लिए संभव नहीं हैं।”

वहीं बालकेश्वर कहते हैं, “हमें तो वर्षों से आशा लगी ही रह गई कि हमारे आंगन में शौचालय हो। हम नहीं चाहते कि हमारे घर की बहु-बेटियां खुले में शौच करने जाएं। शौचालय निर्माण को लेकर हमने कई दफा मुखिया से गुहार लगाई है। वे यही कहते हैं कि पहले शौचालय बनाओ फिर हम राशि देंगे। बालकेश्वर आगे बताते हैं कि शौच के लिए जहां ग्रामीण जाया करते हैं वो जंगल का इलाका है, ऐसे में गांव की महिलाएं और बच्चे रात में जाने से डरते हैं।”

उल्लेखनीय है कि भारत की आधी से ज़्यादा आबादी खुले में शौच करने पर मजबूर है। ऐसे में हैजा, डायरिया और टाइफाइड जैसी बीमारियां बड़ी आसानी ने इन्हें अपनी गिरफ्त में ले लेती है। ग्रामीण इलाकों में महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार की बहुत सी घटनाएं तब होती हैं, जब वे खुले में शौच करने खेत जाया करती हैं। ऐसे में महात्मा गांधी के स्वच्छ भारत अभियान के सपने को साकार करने के लिए ज़रूरत है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ग्रामीण स्वच्छता भारत मिशन की पुन: समीक्षा करें।


प्रिंस, Youth Ki Awaaz Hindi सितंबर-अक्टूबर, 2017 ट्रेनिंग प्रोग्राम का हिस्सा हैं।

फोटो आभार: flickr

फोटो प्रतीकात्मक है।

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