सदियों से पूरी दुनिया एक ही बात का राग गाती आयी है और आज भी गा रही है। वह राग कुछ और नहीं बल्कि प्रेम का राग है। प्यार करने का राग, इश्क करने का राग, मुहब्बत करने का राग। जिधर भी नज़र उठाकर देख लो, धार्मिक आयोजन में धर्म गुरुओं के द्वारा, सब जगह यही प्रवचन दिए जा रहे हैं कि इंसान को इंसान से प्रेम करना चाहिए, मुहब्बत करनी चाहिए। घरों में भी मां-बाप अपने बच्चों को प्रेम का कुछ ऐसा ही पाठ सुनाते दिखते हैं, सामाजिक कार्यक्रमों में तो माइक पर बोलने वाला प्रत्येक वक्ता जैसे कुछ और बात जानता ही ना हो और रही बात राजनीतिक संगठनों की तो उनके तो कहने ही क्या, उनसे ज़्यादा भारत में प्रेम करने का आह्वान शायद ही किसी ने किया हो। यह अलग बात है कि इन राजनीतिक, सामजिक और धार्मिक संगठन जितना माइकों पर बोलते हुए प्रेम की बातें करते हैं वास्तव में इनके द्वारा उससे कहीं ज़्यादा नफरत फैलाने का काम किया जाता है।
लेकिन, भारत के लोगों से एक मूल सवाल यह है कि जब पूरे भारत में चाहे वो घर हो, समाज, धर्म और राजनीति हो, हर जगह प्रेम की बात पर ज़ोर दिया जा रहा है, वह भी आज से नहीं सदियों से, तब भी भारत में प्रेम की, मुहब्बत की, इश्क की, प्यार की हालत इतनी दयनीय क्यों है? क्यों हर शाम ढलते सूरज के साथ भारत में कई प्रेमी जोड़ों की ज़िन्दगी भी ढल जाती है? उन प्रेमियों की फिर कोई दूसरी सुबह क्यों नहीं होती?
कुछ माह पूर्व ही दिल्ली के अंकित सक्सेना की बीच चौराहे पर गर्दन रेत दी गयी, जुर्म था उसने अपने पड़ोस में रहने वाली एक लड़की से मुहब्बत कर ली थी, और उससे भी बड़ा जुर्म था कि अंकित ने एक मुस्लिम परिवार की लड़की से प्यार कर लिया था। यही कर्नाटक में सालों पहले हादिया के साथ भी हुआ, उसका जुर्म था उसने मुस्लिम लड़के से प्रेम कर लिया था, उसके उसी परिवार, समाज और धर्म के लोगों ने उसके प्रेम का सबसे ज़्यादा विरोध किया। जबकि पैदा होने के बाद से जवान होने तक उन्होंने यह राग सुनाया था कि हमें प्रेम करना चाहिए, फिर ऐसा क्यों?
अब ताज़ा ऐसा ही मामला राजस्थान के अजमेर से देखने को मिला है, जहां बीते 24 अप्रैल को भीड़ ने सरेआम एक प्रेमी जोड़े को बेरहमी के साथ पीटा। पुलिस को इसकी सूचना सोशल मीडिया से मिली। प्रेमी जोड़े की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तब जाकर कहीं स्थानीय पुलिस-प्रशासन जागा व लड़की के पिता सहित 4 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने दावा किया है कि वह इस मामले में सभी आरोपियों को सख्त सज़ा दिलायेगी।
इस मामले को भी धार्मिक रंग दिए जाने के प्रयास किए जाने लगे हैं, यदि ऐसा नहीं होता तो अजमेर के एसपी राजेन्द्र सिंह को यह कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती कि हम इसको लव जिहाद केस नहीं कह सकते हैं। इस उम्र में जब आप एक साथ पढ़ाई करते हैं तो आपस में आकर्षण हो सकता है और फिर आप धर्म या समुदाय को नहीं देखते हैं। अब इन सब मामलों को सुनकर, पढ़कर, देखकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में प्रेम और प्रेम करने वाले प्रेमियों की क्या हालत है? और यह हालत हज़ारों वर्षों से है। लेकिन भारत में प्रेम की जो दशा है उससे तो भारत में प्रेम की सभी परिभाषाएं गलत ही साबित होती हैं। और तब यह कथन सत्य मालूम पड़ता है, कि मुहब्बत करना जुर्म हो जैसे ?
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