एक ओर समाज विज्ञान और अत्याधुनिक तकनीकों के माध्यम से रोज़ाना नई ऊचांईयों को छू रहा है, वहीं दूसरी ओर समाज में व्याप्त अंधविश्वास खत्म नहीं हो रहा है। देश में अंधविश्वास की जड़ें इतनी मज़बूत हैं कि हर दिन अजीब तरह की खबरें समाचारपत्रों में पढ़ने को मिल जाती हैं।
अंधविश्वास को लेकर राजस्थान में खाप पंचायत ने एक नाबालिक लड़की को घर से निकालने का फरमान सुना दिया। परिवार ने विरोध किया तो बच्ची की सज़ा बढ़ा दी गई। इसके आलावा गाय, मछली और कबूतर को चारा देने का जु़र्माना भी लगाया गया। बच्ची की गलती बस इतनी थी कि उसके पैर से टिटहरी का अंडा फूट गया था, जो पंचायत की नज़र में बहुत बड़ा अपसगुन था।
पंचायत का मानना है कि टिटहरी का अंडा फूटने से समाज पर संकट आ जाता है। सवाल उठता है कि समाज में इस तरह की झूठी मान्यताएं इतनी मज़बूत हो चली हैं कि इंसान किसी हद तक जाने को तैयार है। हालात ये है कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसी के बीमार होने पर लोग अस्पतालों में इलाज के बजाय ओझा के पास भागते हैं। इस तरह के अंधविश्वासों के चक्कर में कई लोगों की जान चली जाती है। इन अंधविश्वासों के चक्कर में कई परिवार बरबाद हो जाते हैं।
समाज व्याप्त अंधविश्वास और अज्ञानता को खत्म करने के लिए सरकारी बेरुखी भी ज़िम्मेदार है। संविधान की धारा 51 ए के तहत समाज में वैज्ञानिक चेतना का प्रचार-प्रसार का दायित्व सरकार के पास है, लेकिन सरकार समाज में व्याप्त अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है, जिससे समाज में इसकी पैठ मज़बूत होती जा रही है।
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फोटो सोर्स- सोशल मीडिया
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