देश की जनता के स्वास्थ्य को लेकर सरकार कितनी बेफिक्र है इसका अंदाज़ा बाज़ारों में बिक रहे जीएम (अनुवांशिक रूप से परिवर्तित) फूड्स से लगाया जा सकता है। जीएम फूड्स की बिक्री पूरे देश में बैन है। क्योंकि इसका शरीर पर बुरा असर पड़ता है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) द्वारा जांच में पाया गया है कि देश में रोक के बावजूद जीएम फूड्स की बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। टीम ने 65 खाद्य पदार्थों की जांच की, जिनमें से 21 जीएम पॉज़िटिव निकलें। इनमें तेल के नौ और शिशु आहार के आठ पदार्थ शामिल हैं।
सबसे बड़ी बात यह है कि जो खाद्य पदार्थ जीएम पॉज़िटीव पाए गए उनमें से अधिकतर दूसरे देशों से मंगाए गए थे। ऐसे में सरकार की आयात प्रणाली भी सवालों के घेरे में है कि आखिर सरकार बिना जांच किए विदेशों से खाद्य पदार्थों को आयात करती है।
जीएम फूड्स को लेकर पूरे विश्व में दो राय है, कुछ देश इसे अच्छा मानते हैं और कुछ खराब। जीएम फूड्स को लेकर अभी भारत में बहुत रिसर्च की ज़रूरत है। खाद्य विभाग से जुड़े शोधकार्ताओं और विशेषज्ञों की मानें तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। क्योंकि जीएम प्रक्रिया के दौरान डीएनए की अदला-बदली की जाती है, जिससे एंज़ाइम में परिवर्तन होता रहता है।
इस तरह के खाद्य पदार्थों के सेवन से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। इसका सबसे ज़्यादा असर शिशुओं और गर्भवती महिलाओं पर पड़ता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि देशभर में जितने जीएम फूड्स बिक रहे हैं उनकी जांच कर उनकी बिक्री को प्रतिबंधित करें और जो भी कंपनियां इसमें शामिल हैं उनपर कार्रवाई करें ताकि जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ ना हो सके।
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