एक टूटा सितारा और रेटिंग्स की छीछा लेदर
अभी चार रोज़ बाद वो दिन आएगा, जो दिन ‘वुमेंस डे’ कहलाएगा
चीख-चीख कर हर एंकर, ये त्यौहार मनाएगा
नारी के सम्मान का, हर पत्रकार गुणगान गाएगा
जो चली गयी उसको तो बख्शा नहीं, टीआरपी के चक्कर में
घसीटा उसको हर रोज़ हर दिन, रेटिंग्स की छीछा लेदर में
एक ही गुज़ारिश है, हर ऐसे टीवी चैनल से
जो कर चुके वो कर चुके, जो करना हो करते रहो
एक लड़की हूं, कुछ मांग रही, ‘वुमेंस डे’ मत मनाना
वो ढोंग वो दिखावा मत दर्शाना
क्योंकि असल में क्या हो तुम, ये हम सब ने अब देख लिया
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का, तुमने हर टुकड़ा नोच लिया
जाओ घर और नोटों की गद्दी पर आराम करो, आत्मा तो काली है ही,
हम औरतों को ‘सम्मानित’ करके, मत और बदनाम करो
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Posted by Nascent Wings' A poetic endeavor on Tuesday, 27 February 2018
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